आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "حلوا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "حلوا"
ग़ज़ल
मुनाफ़िक़ दावा-ए-ईमाँ में सच्चा हो नहीं सकता
कि गोबर फिर भी गोबर है वो हलवा हो नहीं सकता
वहिद अंसारी बुरहानपुरी
ग़ज़ल
शायद मुझे कह दे कि रुको हलवा तो खा जाओ
हसरत से मैं तकता रहा मुड़ मुड़ मुतवातिर
सय्यद सलमान गीलानी
ग़ज़ल
दिल-ए-क़ाने के तईं नान-ए-जवीं ख़ुश-तर ज़े-तर-हलवा
नहीं हो एहतियाज उस को पुलाव गोश्त रोटी की
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
जो भी मिला उसी का दिल हल्क़ा-ब-गोश-ए-यार था
उस ने तो सारे शहर को कर के ग़ुलाम रख दिया
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
बस-कि हूँ 'ग़ालिब' असीरी में भी आतिश ज़ेर-ए-पा
मू-ए-आतिश दीदा है हल्क़ा मिरी ज़ंजीर का