aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ربط"
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों सेसो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं
अब हम हैं और सारे ज़माने की दुश्मनीउस से ज़रा सा रब्त बढ़ाना बहुत हुआ
अजब कुछ रब्त है तुम से कि तुम कोहम अपना जान कर ठुकरा रहे हैं
रब्त-ए-बाहम पे हमें क्या न कहेंगे दुश्मनआश्ना जब तिरे पैग़ाम से जल जाते हैं
बाहमी रब्त में रंजिश भी मज़ा देती हैबस मोहब्बत ही मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं
या रब इस इख़्तिलात का अंजाम हो ब-ख़ैरथा उस को हम से रब्त मगर इस क़दर कहाँ
अब अपनी हक़ीक़त भी 'साग़र' बे-रब्त कहानी लगती हैदुनिया की हक़ीक़त क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
रब्त की ख़ैर है बस तेरी अना बच जाएइस तरह जा कि तुझे लौट के आना न पड़े
मैं चाहता हूँ कि इतना ही रब्त रह जाएवो याद आए मगर भूलना मुहाल न हो
ये रब्त-ए-बे-शिकायत और ये मैंजो शय सीने में थी वो बुझ गई क्या
क्या एक कारोबार था वो रब्त-ए-जिस्म-ओ-जाँकोई भी राएगाँ न हुआ कुछ नहीं हुआ
दहर के ग़म से हुआ रब्त तो हम भूल गएसर्व क़ामत को जवानी को क़यामत लिखना
ले नाम आरज़ू का तो दिल को निकाल लें'मोमिन' न हों जो रब्त रखें बिदअती से हम
ख़ुशबू से मेरा रब्त है जुगनू से मेरा कामकितना भटक गया हूँ मुझे मार दीजिए
इस का अंजाम भी कुछ सोच लिया है 'हसरत'तू ने रब्त उन से जो इस दर्जा बढ़ा रक्खा है
वर्ना तो नींद से भी नहीं कोई ख़ास रब्तआँखों को सिर्फ़ आप के ख़्वाबों का शौक़ है
यादों से और ख़्वाबों से और उम्मीदों से रब्तहो जाए तो जीने में आसानी करता है
रब्त के सैंकड़ों हीले हैं मोहब्बत न सहीहम तिरे साथ किसी और बहाने लग जाएँ
दिल की तलब पड़ी है तो आया है याद अबवो तो चला गया था किसी दिलरुबा के साथ
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