aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سائیکل"
कार स्कूटर कहाँ ईमान-दारी में हुज़ूरकी बहुत कोशिश तो बस इक साइकल हो जाएगी
वही शिकस्ता साइकल वही उदास ज़िंदगीतिरे लिए तो कुछ नहीं हमारे पास ज़िंदगी
साइकल थोड़ी चौबीस इंची ऊँट चलाया करते थेवो भी तीन चरण में भय्या क़ैंची डंडा फिर गद्दी
रूह को भी मज़ा मोहब्बत कादिल की हम-साएगी से मिलता है
अंधेरे चारों तरफ़ साएँ साएँ करने लगेचराग़ हाथ उठा कर दुआएँ करने लगे
वो हसीं बैठा था जब मेरे क़रीबलज़्ज़त-हम-सायगी थी मैं न था
अब तुम को ही सावन का संदेसा नहीं बननामुझ को भी किसी और का रस्ता नहीं बनना
अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा हैहमारी आँख में इक शख़्स बे-तहाशा है
ये जो मुझ पर निखार है साईंआप ही की बहार है साईं
जताते रहते हैं ये हादसे ज़माने केकि तिनके जमा करें फिर न आशियाने के
एक तो जाँ-गुसिल है तन्हाईइस पे हम-साएगी क़यामत है
पास अपने इक जान है साईंबाक़ी ये दीवान है साईं
वफ़ा का बंदा हूँ उल्फ़त का पासदार हूँ मैंहरीफ़-ए-क़ुमरी-ओ-परवाना-ए-हज़ार हूँ मैं
होते ही जवाँ हो गए पाबंद-ए-हिजाब औरघूँघट का इज़ाफ़ा हुआ बाला-ए-नक़ाब और
तिरे दरसन की मैं हूँ साईं मातीमुजे लावो पिया छाती सूँ छाती
दस्त-ए-दुआ को कासा-ए-साइल समझते होतुम दोस्त हो तो क्यूँ नहीं मुश्किल समझते हो
इक वज़ीफ़ा है किसी दर्द का दोहराया हुआजिस की ज़द में है पहाड़ों का धुआँ आया हुआ
किसी की याद में शमएँ जलाना भूल जाता हैकोई कितना ही प्यारा हो ज़माना भूल जाता है
तुझ से सब कुछ कह के भी कुछ अन-कही रह जाएगीगुफ़्तुगू इतनी बढ़ेगी कुछ कमी रह जाएगी
लहू में रंग-ए-सुख़न उस का भर के देखते हैंचराग़ बाम से जिस को उतर के देखते हैं
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