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ग़ज़ल
जश्न मनाओ रोने वाले गिर्या भूल के मस्त रहें
सारंगी के तीर समाअ'त में इमशब पैवस्त रहें
अहमद जहाँगीर
ग़ज़ल
सबा अकबराबादी
ग़ज़ल
सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है
बस नहीं चलता कि फिर ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है