aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سب_کو"
सब को देखा सब को परखा कोई नहींतुम जो हो जैसे हो ऐसा कोई नहीं
सब को अपनी तरह समझती हैयार तू भी न कितनी भोली है
सब को दिखलाऊँगा हुनर अपनाछोड़ जाऊँगा मैं असर अपना
बाक़ी सब को हराना पड़ता हैउस को तन्हा जिताना पड़ता है
तबाह कर गया सब को मिरे घराने कावही जुनून हथेली पे फूल उगाने का
सब को पागल बना रही हूँ मैंअपना क़िस्सा सुना रही हूँ मैं
सब को मा'लूम है ये बात कहाँदिन कहाँ काटता हूँ रात कहाँ
सब को उलझन में डाल रक्खा हैहम ने सिक्का उछाल रक्खा है
आख़िर इक दिन सब को मरना होता हैयानी मिस्रा पूरा करना होता है
सब को बचाओ ख़ुद भी बचो फ़ासला रखोअब और कुछ करो न करो फ़ासला रखो
साकित हो मगर सब को रवानी नज़र आएउस रेत के सदक़े कि जो पानी नज़र आए
किस लिए सब को अजब बोझ लगा सर अपनाले के महफ़िल में जो पहुँचा मैं कटा सर अपना
सब को मा'ज़ूल कर दिया उस नेइतना महसूल कर दिया उस ने
मैं बहुत ख़ुश हूँ सब को लगता हैकिस सफ़ाई से झूट बोला है
सब को ही उस दर पर ताला दिखता थामुझ को कोई दौड़ के आता दिखता था
सब को ख़ुद से बचा रहा हूँ मैंअपना नक़्शा मिटा रहा हूँ मैं
भटक के राह से हम सब को आज़मा आएफ़रेब दे गए जितने भी रहनुमा आए
क्या अदू क्या दोस्त सब को भा गईं रुस्वाइयाँकौन आ कर नापता एहसास की पहनाईयाँ
यहाँ पे सब को ही आख़िर ज़वाल आना हैतुम्हारे हुस्न पे ये भी कमाल आना है
छोड़ के रोते हुए सब को ओ जाने वालेयाद करते हैं तुझे अब भी ज़माने वाले
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