आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "سپوت"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "سپوت"
ग़ज़ल
ये अब्रहा के पुजारी ये अहरमन के सुपूत
इन्हें ख़बर ही नहीं है कि सुल्ह-जू क्या है
सिराजुद्दीन सिराज
ग़ज़ल
तरब-आशना-ए-ख़रोश हो तू नवा है महरम-ए-गोश हो
वो सरोद क्या कि छुपा हुआ हो सुकूत-ए-पर्दा-ए-साज़ में
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
ज़माना आया है बे-हिजाबी का आम दीदार-ए-यार होगा
सुकूत था पर्दा-दार जिस का वो राज़ अब आश्कार होगा
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ज़ख़्म-ए-दिल जुर्म नहीं तोड़ भी दे मोहर-ए-सुकूत
जो तुझे जानते हैं उन से छुपाता क्या है
शहज़ाद अहमद
ग़ज़ल
कान बजते हैं मोहब्बत के सुकूत-ए-नाज़ को
दास्ताँ का ख़त्म हो जाना समझ बैठे थे हम