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ग़ज़ल
हमें उन से मोहब्बत है ज़रूरत से ज़ियादा ही
उन्हें हम से शिकायत है ज़रूरत से ज़ियादा ही
आदित्य श्रीवास्तव शफ़क़
ग़ज़ल
भूल बैठे सारी दुनिया आशिक़ी की ख़ातिर
आशिक़ी भी छोड़ दी फिर नौकरी की ख़ातिर
आदित्य श्रीवास्तव शफ़क़
ग़ज़ल
जाते जाते ये तकल्लुफ़ भी निभाते जाइए
इश्क़ के ज़ुल्म-ओ-सितम सारे भुलाते जाइए
आदित्य श्रीवास्तव शफ़क़
ग़ज़ल
जब जहाँ में पेट सब का ही है भरती रोटी
मुँह चिढ़ाती रोज़-ओ-शब फिर क्यों मिरा ही रोटी
आदित्य श्रीवास्तव शफ़क़
ग़ज़ल
मकाँ दिल को बनाने का ये वा'दा रू-ब-रू कर के
मकीं घर छोड़ देते हैं ये बातें कू-ब-कू कर के
डॉ. भाग्यश्री जोशी
ग़ज़ल
दिया मौक़ा नहीं ख़ुद को न उन ज़ख़्मों को भरने का
हुनर आया नहीं मुझ को वफ़ा कर के बदलने का
डॉ. भाग्यश्री जोशी
ग़ज़ल
मुझे शिद्दत से चाहो तुम वो मंज़र देख लेते हैं
चलो ऐसा करें क़िस्मत बदल कर देख लेते हैं
डॉ. भाग्यश्री जोशी
ग़ज़ल
रात भर आँसू बहा कर ये दुपट्टा नम किया
सुब्ह इस को ही निचोड़ा प्यास को फिर कम किया