aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "شطرنج"
बहस शतरंज शे'र मौसीक़ीतुम नहीं थे तो ये दिलासे रहे
एक शतरंज-नुमा ज़िंदगी के ख़ानों मेंऐसे हम शाह जो प्यादों के निशाने निकले
ये जीना भी शतरंज ही ने सिखायाकि चालों के लगने पे चालें बदलना
याँ तो आती नहीं शतरंज-ज़माना की चालऔर वाँ बाज़ी हुई मात चली जाती है
लूटूँ मज़े जो बाज़ी-ए-शतरंज जीत लूँइस खेल में तो वा'दा है बोस-ए-कनार का
इश्क़-बाज़ी बाज़ी-ए-शतरंज हैचाल नादाँ रह गया दाना चला
हर क़दम शतरंज जैसी चाल चलती ज़िंदगीजीत हो या हार हो सब एक ख़ाने पर रखा
ज़िंदगी खेल है शतरंज से भी पेचीदाजानने वाला भी इस बाब में क्या जानता है
कैरम हो शतरंज हो या फिर इश्क़ ही होखेल कोई हो हम ने बे-ईमानी की
मिरे मुलाज़िम ओ ख़रगाह अस्प और शतरंजसब आएँ नज़्म से मातम-कुनाँ मिरे पीछे
हुनर है शाइरी शतरंज शौक़ है मेराये जाइदाद 'मुज़फ़्फ़र' मिली है विर्से में
ख़्वाबों में शतरंज के चौ-ख़ानेबिना ज़ोर के पैदल जाए किधर
शतरंज में जी उन का बहल जाए तो अच्छाऐ 'मेहर' ये चाल अच्छी है चल जाए तो अच्छा
मुझे शतरंज के ख़ानों में चलना तू सिखाएगामैं फ़र्ज़ी बन चुका कब का तू अब तक इक पियादा है
ज़िंदगी को ज़रा शतरंज समझ कर देखोमेरे झुक जाने में तदबीर भी हो सकती है
कोई शतरंज-बाज़ी में है मशग़ूलकिसी की जान पर अपनी बनी है
जब बाज़ी हारने लगो तो ग़ौर से ज़राशतरंज पे बिछे हुए मोहरे पढ़ा करो
ख़ानों में भटकता नज़र आया मुझे इंसानशतरंज ज़माना का पियादा तो नहीं है
शतरंज जैसी मुझ को लगे है ये ज़िंदगीचलना हर एक चाल समझदार की तरह
इश्क़-बाज़ी बाज़ ले शतरंज हैचाल नादाँ रह गया दाना चला
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