आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "عشق_و_محبت"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "عشق_و_محبت"
ग़ज़ल
दिल में अगर न इश्क़-ओ-मोहब्बत की चाह हो
नाला न दर्द हो न फ़ुग़ाँ हो न आह हो
पंडित जगमोहन नाथ रैना शौक़
ग़ज़ल
‘इश्क़-ओ-मोहब्बत के अफ़्साने कल भी थे और आज भी हैं
शम’-ए-जवानी के परवाने कल भी थे और आज भी हैं
अबुल फ़ितरत मीर ज़ैदी
ग़ज़ल
हदीस-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत का राज़दाँ हूँ मैं
जो मावरा-ए-तकल्लुम है वो बयाँ हूँ मैं
सूफ़ी ज़मज़म बिजनोरी
ग़ज़ल
जहाँ पे इश्क़-ओ-मोहब्बत सिरे से थे ही नहीं
वहाँ भी इश्क़-ओ-मोहब्बत बना गुलाब का फूल
अली उल-हसनैन
ग़ज़ल
रखता हूँ इस लिए दिल-ए-सोज़ाँ ओ चश्म-ए-तर
जिऊँ शम्अ दर्द-ए-दाग़ से इश्क़-आफ़्रीदा हूँ
इश्क़ औरंगाबादी
ग़ज़ल
नाला है ख़ाना-ज़ाद-ए-इश्क़ लेक कहाँ सर-ओ-दिमाग़
अपने तो क़ाफ़िले के बीच जो है जरस ख़मोश है
इश्क़ औरंगाबादी
ग़ज़ल
कहीं न 'बर्क़' की महरूमियों का ज़िक्र आए
अदू ने इश्क़-ओ-मोहब्बत की बात काटी है
तल्हा रिज़वी बर्क़
ग़ज़ल
बंदगी हर आरज़ू क़ुर्बान कर जाने का नाम
ज़िंदगी इश्क़-ओ-मोहब्बत ही में मर जाने का नाम