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ग़ज़ल
ये क्या कम है कि हम हैं तो सही फ़हरिस्त में उस की
भले ना-शाद रक्खा है कि हम को शाद रक्खा है
ज़फ़र इक़बाल
ग़ज़ल
दुश्मनों की ख़ुद-ब-ख़ुद हो जाएगी तादाद कम
यारों की फ़िहरिस्त में कुछ यार कम कर दीजिए
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
मिटा डाला मुझे फिर भी ये है बेदाद की हसरत
अभी फ़ेहरिस्त-ए-मौजूदात में शामिल समझते हैं
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
ऐ दिल-ज़दागानों के मसीहा मुझे बतलाओ
क्या मैं तिरी फ़िहरिस्त-ए-दिल-ओ-जाँ में कहीं हूँ
अशफ़ाक़ हुसैन
ग़ज़ल
कोई फ़िहरिस्त लफ़्ज़ों की या गूगल को खंगालेगा
वो मेरी चुप से अब कोई नया मतलब निकालेगा
फ़ौज़िया शेख़
ग़ज़ल
नादिम तो हैं वो क़त्ल पे अरबाब-ए-वफ़ा के
लेकिन सर-ए-फ़िहरिस्त हैं कुछ नाम अभी तक