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ग़ज़ल
अतहर नफ़ीस
ग़ज़ल
अगर तशवीश लाहक़ है तो सुलतानों को लाहक़ है
न तेरा घर है ख़तरे में न मेरा घर है ख़तरे में
हबीब जालिब
ग़ज़ल
फ़िक्र लाहक़ है हमेशा मिस्ल-ए-तुख़्म-ए-ना-तवाँ
हश्र क्या होगा दरून-ए-आब-ओ-गिल जाने के बाद
इफ़्तिख़ार राग़िब
ग़ज़ल
दुश्मनों से ही नहीं होता है ख़तरा लाहिक़
बाग़ियों से भी हुकूमत पे असर पड़ता है
मोहसिन आफ़ताब केलापुरी
ग़ज़ल
मा'रका हो तो यहाँ कोई मरज़ लाहक़ है
लश्करी भी हैं तो क्या बाँग-ए-दरा चाहते हैं