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ग़ज़ल
सिराजुद्दीन ज़फ़र
ग़ज़ल
दिल किस की तेग़-ए-नाज़ से लज़्ज़त-चशीदा है
हर ज़ख़्म शौक़ से लब-ए-हसरत-गज़ीदा है
मीर तस्कीन देहलवी
ग़ज़ल
ज़हर-ए-ग़म पी जुज़-ओ-जाँ कर फिर भी मौत आए तो क्या
यूँ भी अमृत का यहाँ लज़्ज़त-चशीदा कौन है
ग़ौस मोहम्मद ग़ौसी
ग़ज़ल
किया था शौक़ ने बेताब दीदा ने मुज़्तर
वो ज़ौक़-ए-लुत्फ़ का लज़्ज़त-चशीदा आया था
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
तुझ को भी ज़िंदगी ने दिया दर्द-ए-बे-कराँ
मैं भी ग़म-ए-हयात का लज़्ज़त-चशीदा हूँ
प्रकाश नाथ प्रवेज़
ग़ज़ल
जवाब-ए-अब्र-ए-नैसाँ तुझ को हम ने चश्म-ए-तर जाना
कि हर इक क़तरा-ए-अश्क-ए-चकीदा को गुहर जाना