आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "अज़बर"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "अज़बर"
ग़ज़ल
सफ़्हा सफ़्हा एक किताब-ए-हुस्न सी खुलती जाएगी
और उसी की लय में फिर मैं तुम को अज़बर कर लूँगा
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
अजब ए'तिबार ओ बे-ए'तिबारी के दरमियान है ज़िंदगी
मैं क़रीब हूँ किसी और के मुझे जानता कोई और है
सलीम कौसर
ग़ज़ल
वाँ दिल में कि सदमे दो याँ जी में कि सब सह लो
उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
अफ़्सुर्दगी ओ ज़ोफ़ की कुछ हद नहीं 'अकबर'
काफ़िर के मुक़ाबिल में भी दीं-दार नहीं हूँ