आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "चोरी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "चोरी"
ग़ज़ल
ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वो तिरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बे-ख़बर सोता!
रहा खटका न चोरी का दुआ देता हूँ रहज़न को
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
प्यार किया तो डरना क्या जब प्यार किया तो डरना क्या
प्यार किया कोई चोरी नहीं की छुप छुप आहें भरना क्या
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
वो भी 'साजिद' था मिरे जज़्बों की चोरी में शरीक
उस की जानिब क्यूँ नहीं उट्ठी निगाह-ए-शक कोई