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ग़ज़ल
शेर-गोई है वो शय जिन का सिला देने को
ख़्वाब-ए-फ़िरदौसी-ए-ख़ुश-फ़िक्र में रुस्तम आया
असद अली ख़ान क़लक़
ग़ज़ल
कर दे मु'आफ़ मुझ को वो ऐसा मैं क्या करूँ
सर नीचे कर के ख़ुद को मैं उल्टा खड़ा करूँ
इक़बाल फ़िरदौसी
ग़ज़ल
न कर दें मुझ को मजबूर-ए-नवाँ फ़िरदौस में हूरें
मिरा सोज़-ए-दरूँ फिर गर्मी-ए-महफ़िल न बन जाए
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
इक हक़ीक़त सही फ़िरदौस में हूरों का वजूद
हुस्न-ए-इंसाँ से निमट लूँ तो वहाँ तक देखूँ
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
वो मस्त निगाहें हैं या वज्द में रक़्साँ है
तसनीम की लहरों में फ़िरदौस की रा'नाई
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
ग़ज़ल
वो जो हुए फ़िरदौस-बदर तक़्सीर थी वो आदम की मगर
मेरा अज़ाब-ए-दर-बदरी मेरी ना-कर्दा-गुनाही है
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
ऐ ख़ुदा अब तिरे फ़िरदौस पे मेरा हक़ है
तू ने इस दौर के दोज़ख़ में जलाया है मुझे