आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "फूंकी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "फूंकी"
ग़ज़ल
नई तहज़ीब से साक़ी ने ऐसी गर्म-जोशी की
कि आख़िर मुस्लिमों में रूह फूंकी बादा-नोशी की
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
जिस्म-ए-आज़ादी में फूंकी तू ने मजबूरी की रूह
ख़ैर जो चाहा किया अब ये बता हम क्या करें
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
वहाँ जब थे तो जिस्म-ए-ना-तावाँ में रूह फूंकी थी
यहाँ जिस दिन से आए आप बन बैठे क़ज़ा मेरी
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
शोलों की इस हमदर्दी पर दिल में लावा पकता है
जब सारी बस्ती फूंकी थी क्यूँ मेरा घर छोड़ दिया
मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ग़ज़ल
क़ालिब-ए-ख़ाकी में साक़ी तू ने फूंकी है ये रूह
क़ुलक़ुल-ए-मीना से पैदा शोर-ए-मस्ताना हुआ
हबीब मूसवी
ग़ज़ल
शम' नाज़ाँ है फ़क़त सर से भड़क जाने में आग
फूँक दे सारा जहाँ हैगी वो परवाने में आग
मिर्ज़ा अली लुत्फ़
ग़ज़ल
चेहरे बदले आदत बदली रूह ने फूंकी जान नई
वर्ना सब मिट्टी के पैकर एक ही जैसे होते हैं