आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बेगम"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "बेगम"
ग़ज़ल
ग़ाफ़िलों के लुत्फ़ को काफ़ी है दुनियावी ख़ुशी
आक़िलों को बे-ग़म-ए-उक़्बा मज़ा मिलता नहीं
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
मोहल्ले में उन्हें कहते हैं सब शर्रुन्निसा-बेगम
तो ये साबित हुआ ख़ैरुन्निसा में कुछ नहीं रक्खा
खालिद इरफ़ान
ग़ज़ल
हर इक बेगम अगरचे मुनफ़रिद है अपनी सज-धज में
मगर जितने भी शौहर हैं बिचारे एक जैसे हैं
सरफ़राज़ शाहिद
ग़ज़ल
नहीं क़स्साब-ए-अजल से कोई बे-ग़म हरगिज़
पोस्तीं छीने ये मुनइम की तो कंगाल की खाल
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
वो मक़्तल में अगर खींचे हुए तलवार बैठे हैं
तो हम भी जान देने के लिए तय्यार बैठे हैं
अनवरी जहाँ बेगम हिजाब
ग़ज़ल
आना भी आने वाले का अफ़्साना हो गया
दुश्मन के कहने सुनने से क्या क्या न हो गया
अनवरी जहाँ बेगम हिजाब
ग़ज़ल
कुछ हद भी ऐ फ़लक सितम-ए-ना-रवा की है
हर साँस दास्ताँ तिरे जौर-ओ-जफ़ा की है