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ग़ज़ल
न बिखराया करो तुम बैठे बैठे ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ को
ख़ुदा के वास्ते देखो मिरे हाल-ए-परेशाँ को
नश्तर छपरावी
ग़ज़ल
क्या जानूँ क्यों बैठे बैठे दिल ऐसा भर आए है
सूखा सागर इन आँखों का पानी से भर जाए है
मोहम्मद अहसन वाहिदी
ग़ज़ल
अहद-ए-जुनूँ में बैठे बैठे जो ग़ज़लें लिख डाली थीं
हम को रुस्वा दुनिया भर को पागल करने वाली थीं