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ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
परवीन शाकिर
ग़ज़ल
कहीं चाक-ए-जाँ का रफ़ू नहीं किसी आस्तीं पे लहू नहीं
कि शहीद-ए-राह-ए-मलाल का नहीं ख़ूँ-बहा उसे भूल जा
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
गया तो इस तरह गया कि मुद्दतों नहीं मिला
मिला जो फिर तो यूँ कि वो मलाल में मिला मुझे
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
कई साल बा'द मिले हैं हम तिरे नाम आज की शाम है