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ग़ज़ल
सज्जाद बाक़र रिज़वी
ग़ज़ल
मैं तो कुछ नहीं कहता ख़ुद मुलाहिज़ा कीजे
किस का नाम चलता है आज ख़ुश-जमालों में
सलाहुद्दीन नय्यर
ग़ज़ल
सिवाए अहल-ए-सुख़न हो मुशाहिदा किस को
निहाँ है शाहिद-ए-मा'नी सुख़न के पर्दे में