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ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
जिस जिप्सी का ज़िक्र है तुम से दिल को उसी की खोज रही
यूँ तो हमारे शहर में अक्सर मेला लगा निगारों का
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
मोहब्बत भी हुआ करती है दिल भी दिल से मिलता है
मगर फिर आदमी को आदमी मुश्किल से मिलता है
मेला राम वफ़ा
ग़ज़ल
ध्यान में मेला सा लगता है बीती यादों का
अक्सर उस के ग़म से दिल की सोहबत रहती है
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
रात भर रहता है ज़ख़्मों से चराग़ाँ दिल में
रफ़्तगाँ तुम ने लगा रक्खा है मेला अच्छा