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ग़ज़ल
जज़्ब होता जा रहा है दिल में दर्द-ए-ला-इलाज
क्या इसी मरहम से होना तय है दुनिया का इलाज
अभिनंदन पांडे
ग़ज़ल
किसी ला-इलाज रजाई ने ये ख़बर चमन में उड़ाई है
कोई पत्ता जब न हो पेड़ पर तो समझ लो फ़स्ल-ए-गुल आई है
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
मुश्किल में है तबीब कि है 'इश्क़ ला-'इलाज
और हुस्न कह रहा है कि मेरा बुख़ार देख