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ग़ज़ल
नई ये वज़्अ शरमाने की सीखी आज है तुम ने
हमारे पास साहब वर्ना यूँ सौ बार बैठे हैं
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
वो बैठे हैं झुकाए सर अदा-ए-दिल-नवाज़ी से
लगे हैं ख़ुद से शरमाने सितारो तुम तो सो जाओ
अनीस कैफ़ी
ग़ज़ल
ले गया दिल को जो उस महफ़िल की शब मैं ऐ 'मुनीर'
उस हसीं का बज़्म में अंदाज़ शरमाने का था
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल
बहुत बेबाक आँखों में त'अल्लुक़ टिक नहीं पाता
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
सुन के शिकवा हश्र में कहते हो शरमाते नहीं
तुम सितम करते फिरो दुनिया पे शरमाने को हम
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
अतहर नफ़ीस
ग़ज़ल
वक़्त है ऐसा था रुख़्सत हो गई उन की हया
बात ही ऐसी थी खुल खेले वो शरमाने के बा'द