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ग़ज़ल
क़ैद-ए-ज़़िंदाँ में ख़याल-ए-बाल-ओ-पर आया तो क्या
पुतलियों में गोया ‘अक्स-ए-बाम-ओ-दर आया तो क्या
वाहिद नज़ीर
ग़ज़ल
ऐ कि तुझ से ताक़त-ए-परवाज़ बाल-ओ-पर में है
वो बुलंदी दे जो अज़्म-ए-हौसला-परवर में है
मुस्लिम मलेगाँवी
ग़ज़ल
ख़्वाहिश-ए-पर्वाज़ है तो बाल-ओ-पर भी चाहिए
मैं मुसाफ़िर हूँ मुझे रख़्त-ए-सफ़र भी चाहिए
भारत भूषण पन्त
ग़ज़ल
मंज़िलें भी ये शिकस्ता-बाल-ओ पर भी देखना
तुम सफ़र भी देखना रख़्त-ए-सफ़र भी देखना
अताउल हक़ क़ासमी
ग़ज़ल
ताइर-ए-ख़ुश-रंग को बे-बाल-ओ-पर देखेगा कौन
उस को ख़ुद अपने लहू में तर-ब-तर देखेगा कौन
तुफ़ैल अहमद मदनी
ग़ज़ल
वक़्फ़ है सय्याद की इक इक नज़र मेरे लिए
हाँ मुबारक ये शिकस्त-ए-बाल-ओ-पर मेरे लिए
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
आसमाँ की खोज में हम से ज़मीं भी खो गई
कितनी पस्ती में मज़ाक़-ए-बाल-ओ-पर ले जाएगा
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
कोई 'फ़ज़ा' तो मिले हम को क़ाबिल-ए-परवाज़
अब इन हदों में भला बाल-ओ-पर कहाँ खोलें
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
सफ़ीर-ए-जाँ हूँ हिसार-ए-बदन में क्या ठहरूँ
चमन-परस्तो न ख़ुशबू के बाल-ओ-पर बाँधो