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ग़ज़ल
उस ने सारी दुनिया माँगी मैं ने उस को माँगा है
उस के सपने एक तरफ़ हैं मेरा सपना एक तरफ़
वरुन आनन्द
ग़ज़ल
हम कहते हैं ये जग अपना है तुम कहते हो झूटा सपना है
हम जन्म बिता कर जाएँगे तुम जन्म गँवा कर जाओगे
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
शुक्र करो तुम इस बस्ती में भी स्कूल खुला वर्ना
मर जाने के बा'द किसी का सपना पूरा होता था
अज़हर फ़राग़
ग़ज़ल
दिन में हँस कर मिलने वाले चेहरे साफ़ बताते हैं
एक भयानक सपना मुझ को सारी रात डराएगा
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
किसी की आँख से सपने चुरा कर कुछ नहीं मिलता
मुंडेरों से चराग़ों को बुझा कर कुछ नहीं मिलता
वसी शाह
ग़ज़ल
हर जीवन की वही विरासत आँसू सपना चाहत मेहनत
साँसों का हर बोझ बराबर जितना तेरा उतना मेरा