aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सवेरा"
चाँद सितारे फूल परिंदे शाम सवेरा एक तरफ़सारी दुनिया उस का चर्बा उस का चेहरा एक तरफ़
सवेरा है बहुत ऐ शोर-ए-महशरअभी बेकार उठवाया गया हूँ
क्यूँ मेरा मुक़द्दर है उजालों की सियाहीक्यूँ रात के ढलने पे सवेरा नहीं होता
मेरे घर में बसी थी तारीकीघर से बाहर मगर सवेरा था
ज़र्द गुलाब और आईनों को चाहने वालीऐसी धूप और ऐसा सवेरा फिर नहीं होगा
रोज़ ये सोच के सोता हूँ कि इस रात के बादअब अगर आँख खुलेगी तो सवेरा होगा
कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनूजो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है
रात गहरी थी फिर भी सवेरा सा थाएक चेहरा कि आँखों में ठहरा सा था
सवेरा हो भी चुका और रात बाक़ी हैज़रूर दिल में अभी कोई बात बाक़ी है
रात क्या होती है हम से पूछिएआप तो सोए सवेरा हो गया
एक धोका है ये शब-रंग सवेरा क्या हैये उजाला है उजाला तो अंधेरा क्या है
तेरी आवाज़ सवेरा तिरी बातें तड़काआँखें खुल जाती हैं एजाज़-ए-सुख़न क्या कहना
अगरचे रोज़-ए-अज़ल भी यही अँधेरा थातिरी जबीं से निकलता हुआ सवेरा था
उफ़ुक़ अगरचे पिघलता दिखाई पड़ता हैमुझे तो दूर सवेरा दिखाई पड़ता है
हम ने तन्हाई की चादर तान ली और सो गएलोग जब कहने लगे उट्ठो सवेरा हो गया
अब तो कुछ और भी अंधेरा हैये मिरी रात का सवेरा है
सफ़र-ए-शब में तो फिर चाँद की हमराही हैक्या अजब हो किसी जंगल में सवेरा मुझ को
उन्ही आँखों में उतर जाती है हर शाम 'जमील'उन्ही आँखों से निकलता है सवेरा देखो
मुझे हर सुब्ह याद आती है बचपन की वो आवाज़चलो 'इरफ़ान' उठ जाओ सवेरा हो गया है
मैं ने क़द्र-ए-तीरगी-ए-शब अब पहचानी जबगुज़र गई शब हुआ सवेरा कोई नहीं मेरा
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