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ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
ग़म के अँधियारे में तुझ को अपना साथी क्यूँ समझूँ
तू फिर तू है मेरा तो साया भी मेरे साथ नहीं
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
ये सजा-सजाया घर साथी मिरी ज़ात नहीं मिरा हाल नहीं
ऐ काश कभी तुम जान सको जो इस सुख ने आज़ार दिया
उबैदुल्लाह अलीम
ग़ज़ल
जब जाम दिया था साक़ी ने जब दौर चला था महफ़िल में
इक होश की साअत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
साग़र सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
कैसे कैसे प्यारे साथी कैसी कैसी बातें थीं
किस को क्या मा'लूम था यारो कौन कहाँ छुट जाएगा
जाफ़र अब्बास
ग़ज़ल
किस से किस का साथी छूटा किस का 'उमर' क्या हाल हुआ
पर्बत पर्बत वादी वादी रात मचा था शोर बहुत
उमर अंसारी
ग़ज़ल
साथी हों या असातिज़ा आए किसी को क्या मज़ा
दर्जे में कोई बे-महल 'कैफ़' की ग़ज़लें गाए क्यों