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ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
सबा अकबराबादी
ग़ज़ल
अभी न आएगी नींद तुम को अभी न हम को सुकूँ मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल ज़ियादा अभी ये चाहत नई नई है
शबीना अदीब
ग़ज़ल
अभी बादबान को तह रखो अभी मुज़्तरिब है रुख़-ए-हवा
किसी रास्ते में है मुंतज़िर वो सुकूँ जो आ के चला गया
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
ये ज़रा दूर पे मंज़िल ये उजाला ये सुकूँ
ख़्वाब को देख अभी ख़्वाब की ताबीर न देख
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
उफ़ ये सन्नाटा कि आहट तक न हो जिस में मुख़िल
ज़िंदगी में इस क़दर हम ने सुकूँ पाया न था
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
जो चराग़ सारे बुझा चुके उन्हें इंतिज़ार कहाँ रहा
ये सुकूँ का दौर-ए-शदीद है कोई बे-क़रार कहाँ रहा