aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "Daal"
सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस कीजो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्यादाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या
अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना तेरासब ने जाना जो पता एक ने जाना तेरा
निकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदाअब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है
आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों परक्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा हैमगर चराग़ ने लौ को सँभाल रक्खा है
टूटी है मेरी नींद मगर तुम को इस से क्याबजते रहें हवाओं से दर तुम को इस से क्या
ये भी नया सितम है हिना तो लगाएँ ग़ैरऔर उस की दाद चाहें वो मुझ को दिखा के हाथ
उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँढूँडने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
'फ़राज़' तू ने उसे मुश्किलों में डाल दियाज़माना साहब-ए-ज़र और सिर्फ़ शाएर तू
कहने को दिल की बात जिन्हें ढूँडते थे हममहफ़िल में आ गए हैं वो अपने नसीब से
दुनिया पे अपने इल्म की परछाइयाँ न डालऐ रौशनी-फ़रोश अंधेरा न कर अभी
कौन हमारी प्यास पे डाका डाल गयाकिस ने मश्कीज़ों के तस्मे खोले हैं
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गयाजैसे ख़ुश-बू-ए-ज़ुल्फ़-ए-बहार आ गई जैसे पैग़ाम-ए-दीदार-ए-यार आ गया
आईना हाथ में है तो सूरज पे अक्स डालकुछ लुत्फ़ भी सुराग़-रसाई में आएगा
जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती हैयादों के दरीचों में चिलमन सी सरकती है
कौन दरियाओं का हिसाब रखेनेकियाँ नेकियों में डाल आया
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दियातुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
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