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ग़ज़ल
अपने हिस्से की अना दूँ तो अना दूँ किस को
अपनी नज़रों से गिरा दूँ तो गिरा दूँ किस को
अमित शर्मा मीत
ग़ज़ल
ऐ ख़ुदा जिस्म में तू ने ये बनाया क्या है
दिल तो ये है ही नहीं फिर ये धड़कता क्या है