आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "antar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "antar"
ग़ज़ल
ज़रा फ़ुर्सत मिले क़िस्मत की चौसर से तो सोचूँगा
कि ख़्वाहिश और हासिल का ये अंतर क्यूँ नहीं जाता
प्रबुद्ध सौरभ
ग़ज़ल
समझना इंक़लाब और 'इश्क़ में अंतर नहीं कुछ भी
है 'फ़ानी' वीर-रस का ख़ुद-बख़ुद श्रंगार हो जाना