aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "baa-na.e"
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाताजो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
कोई बे-नाम ख़लिश उकसाएक्या ज़रूरी है तिरी याद आए
काम बस नाम का नहीं होतानाम कुछ काम का नहीं होता
मौत आई कितनी बार नई ज़िंदगी हुईनिकली मगर न फाँस जिगर में छुपी हुई
कहीं से बास नए मौसमों की लाती हुईहवा-ए-ताज़ा दर-ए-नीम-वा से आती हुई
बात कुछ हम से बन न आई आजबोल कर हम ने मुँह की खाई आज
ज़ब्त कर आह बार बार न करग़म-ए-उल्फ़त को शर्मसार न कर
बन न बन मेरी जान झूट न बोलबस मुझे अपना मान झूट न बोल
हिसार में लिए बे-नाम एक वहशत थीयही मता' यही ज़िंदगी की क़ीमत थी
यार हमारी बात न पूछकैसे बीती रात न पूछ
ख़्वाहिश-ए-बे-नाम से वाक़िफ़ नहींइक नशीली शाम से वाक़िफ़ नहीं
सारी बात न पूछा करकुछ ख़ुद भी तो समझा कर
एक बे-नाम सी दीवार है बाहर मेरेकौन जाने जो नया शहर है अंदर मेरे
चमन चमन न रहेगा जो तेरी बू न रहेमैं उस ख़याल से डरता हूँ जिस में तू न रहे
तुम जो जीते हो कई बार न जाने कैसेअब अगर हार गए हो तो बहाने कैसे
ब-नाम-ए-ताक़त कोई इशारा नहीं चलेगाउदास नस्लों पे अब इजारा नहीं चलेगा
मेरी तारीफ़ करे या मुझे बद-नाम करेजिस ने जो बात भी करनी है सर-ए-आम करे
दिल में बे-नाम सी ख़ुशी है अभीज़िंदगी मेरे काम की है अभी
पी गए कितने ही आँसू हम ब-नाम-ए-ज़िंदगीएक मुद्दत में कहीं दिल दर्द के क़ाबिल बना
ब-नाम-ए-‘इश्क़ दिल तोड़ा गया हैबना कर फिर मुझे ढाया गया है
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