आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bachaa.e.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bachaa.e.n"
ग़ज़ल
इक आग ग़म-ए-तन्हाई की जो सारे बदन में फैल गई
जब जिस्म ही सारा जलता हो फिर दामन-ए-दिल को बचाएँ क्या
अतहर नफ़ीस
ग़ज़ल
देखने वाले तुम्हारे दिल बचाएँ किस तरह
आफ़त-ए-जाँ तुम बला-ए-नागहानी चूड़ियाँ
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
ग़ज़ल
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी
ग़ज़ल
ये कह दो वो तूफ़ाँ से दामन बचाएँ
जो हँस हँस के ये चश्म-ए-नम देखते हैं