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ग़ज़ल
किसी सूरत भी नींद आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
कोई शय दिल को बहलाती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
अब भी अक्सर ख़्वाब में उन के धुँदले चेहरे आते हैं
मेरी गुड़िया की शादी में जो नन्हे बाराती थे
फ़रहत ज़ाहिद
ग़ज़ल
इलाही दर्द-ए-ग़म की सरज़मीं का हाल क्या होता
मोहब्बत गर हमारी चश्म-ए-तर से मेंह न बरसाती
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
ग़ज़ल
रात चश्म-ए-'राज़' पहरों अश्क बरसाती रही
खेल के शौक़ीन रोना किरकिरा करते रहे
ख़लील-उर-रहमान राज़
ग़ज़ल
क़यामत-ख़ेज़ तूफ़ानों में बरसाती हवाओं में
उभरते डूबते दिल का जज़ीरा हम ने देखा है
Meem Sheen Najmi
ग़ज़ल
'जाफ़र' देख के ग़म बरसाती ज़िंदगियों के समय
बीत गई इस दिल पर क्या क्या मैं ख़ामोश रहा
जाफ़र शिराज़ी
ग़ज़ल
बजाए आँसुओं के ख़ून बरसाती हैं ये आँखें
पुराने ज़ख़्म जब इस दिल के अंदर बोल पड़ते हैं
तशना आज़मी
ग़ज़ल
ऐसी दुनिया से शिकायत क्या गिला क्या रंज क्या
फूल बरसाती है दुनिया आग बरसाते हैं हम
क़ादिर सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
ख़ुद तड़प कर किस क़दर मुझ को भी तड़पाती है रात
अश्क-ए-शबनम जब मिरी हालत पे बरसाती है रात
अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ
ग़ज़ल
ब-रंग उस के नहीं महबूब दिल रोने को आशिक़ के
सआदत ख़ाँ है लड़का वज़्अ कर लेता है बरसाती
नाजी शाकिर
ग़ज़ल
संग-ए-मलामत दिल पर मेरे बरसाती है दुनिया 'शातिर'
चोट लगे और हँसता जाऊँ कब तक आख़िर आख़िर कब तक