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ग़ज़ल
ये भोग भी एक तपस्या है तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचियता का होगा रचना को अगर ठुकराओगे
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
जुदा है ने'मत-ए-दुनिया से लज़्ज़त बोसा-ए-लब की
वो जोगी हो गया जिस ने ये मोहन भोग चक्खा है
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
जुदा है ने'मत-ए-दुनिया से लज़्ज़त बोसा-ए-लब की
वो जोगी हो गया जिस ने ये मोहन-भोग चक्खा है
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
मोहम्मद फ़ीरोज़ शाह
ग़ज़ल
'फ़ैज़' दिलों के भाग में है घर भरना भी लुट जाना भी
तुम इस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर कितने दिन इतराओगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
तिरी आँखों को पढ़ता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
वसी शाह
ग़ज़ल
क्या मिला आख़िर तुझे सायों के पीछे भाग कर
ऐ दिल-ए-नादाँ तुझे क्या हम ने समझाया न था
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
तुम्हारे पास आते हैं तो साँसें भीग जाती हैं
मोहब्बत इतनी मिलती है कि आँखें भीग जाती हैं