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ग़ज़ल
नहीं ये जल्वा-हा-ए-राज़-ए-इरफ़ाँ देखने वाले
तुम्हें कब देखते हैं कुफ़्र-ओ-ईमाँ देखने वाले
बासित भोपाली
ग़ज़ल
ख़ुद से गुज़रे तो क़यामत से गुज़र जाएँगे हम
यानी हर हाल की हालत से गुज़र जाएँगे हम
मीर अहमद नवेद
ग़ज़ल
चश्म-ए-मुश्ताक़-ए-मुलाक़ात कहाँ थी पहले
दिल में तुग़्यानी-ए-जज़्बात कहाँ थी पहले
रंगेशवर दयाल सक्सेना सूफ़ी
ग़ज़ल
दिल लगा लेते हैं अहल-ए-दिल वतन कोई भी हो
फूल को खिलने से मतलब है चमन कोई भी हो
बासिर सुल्तान काज़मी
ग़ज़ल
जाम-ओ-मीना है गिराँ बादा-ए-बरसात गिराँ
साक़िया तेरे बिना है यहाँ हर बात गराँ
मक़बूल अहमद मक़बूल
ग़ज़ल
मिम्बर-ओ-मेहराब में सब बुझ गए रक्खे हुए
हम जले हैं हम कि जो थे ताक़ पे रखे हुए