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ग़ज़ल
पाँव में तारे बंध जाएँ तो दरिया दामन होगा
किन चाँदों का नूर चुरा कर सीना रौशन होगा
अरसलान राठोर
ग़ज़ल
चारों तरफ़ कुछ दीवारें सी रहती हैं आहों में लगी
मेरी मिट्टी तेरे घर की गहरी बुनियादों में लगी
आबिद जाफ़री
ग़ज़ल
रस्ता रोकती ख़ामोशी ने कौन सी बात सुनानी है
रात की आँखें जान रही हैं किस के पास कहानी है
अम्बरीन सलाहुद्दीन
ग़ज़ल
वो रंग-ओ-बू है कि आँखों को सूझता भी नहीं
वो फूल दिल में मकीं है कि जो खिला भी नहीं