आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "chand rani sat prakaash sangar ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "chand rani sat prakaash sangar ebooks"
ग़ज़ल
उन लम्हों को गुज़रे भी अब एक ज़माना बीत गया
आधी अधूरी बातें कर के चला वो मेरा मीत गया
स्वाती सानी रेशम
ग़ज़ल
रब्त शीशे से तअल्लुक़ है न कुछ जाम के साथ
निस्बतें जब से हुईं दिल को तिरे नाम के साथ
शफ़ीक़ बरेलवी
ग़ज़ल
चमन में चेहरा-ए-गुल पर कहाँ निखार का रंग
न जाने कैसा है अब के बरस बहार का रंग
चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी
ग़ज़ल
शबनम भीगी घास पे चलना कितना अच्छा लगता है
पाँव तले जो मोती बिखरें झिलमिल रस्ता लगता है
प्रकाश फ़िक्री
ग़ज़ल
तन्हाई का ज़ख़्म था कैसा सन्नाटों ने भरा नमक
ऐसा छलका ज़ख़्म कि सारा पलकों से बह गया नमक
राम प्रकाश राही
ग़ज़ल
हर आँख लहू सागर है मियाँ हर दिल पत्थर सन्नाटा है
ये गंगा किस ने पाटी है ये पर्बत किस ने काटा है
अज़ीज़ क़ैसी
ग़ज़ल
फिर आँखों से ओझल हो कर तू ने कैसा रूप भरा
चारों तरफ़ बे-रंग हवाएँ तारों तक बे-अंत ख़ला