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ग़ज़ल
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
तिरे दौर-दौरा-ए-इश्क़ में मिरी एक रंग से कट गई
न सितम हुआ न करम हुआ न जफ़ा हुई न वफ़ा हुई
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
तमाम इल्म ज़ीस्त का गुज़िश्तगाँ से ही हुआ
अमल गुज़िश्ता दौर का मिसाल में मिला मुझे
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल
फिर से मुझ को पागल-पन का दौरा पड़ने वाला है
फिर से तुम्हारी यादों की अलमारी खोले बैठा हूँ
तरकश प्रदीप
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
थम गया दौरा-ए-हयात रुक गई नब्ज़-ए-काएनात
इश्क़-ओ-जुनूँ की गर्मी-ए-हमहमा-ज़ा को क्या हुआ