आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "deewan e zafar bahadur shah zafar ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "deewan e zafar bahadur shah zafar ebooks"
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
न दरवेशों का ख़िर्क़ा चाहिए ना ताज-ए-शाहाना
मुझे तो होश दे इतना रहूँ मैं तुझ पे दीवाना
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
इश्क़ तो मुश्किल है ऐ दिल कौन कहता सहल है
लेक नादानी से अपनी तू ने समझा सहल है
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
वाक़िफ़ हैं हम कि हज़रत-ए-ग़म ऐसे शख़्स हैं
और फिर हम उन के यार हैं हम ऐसे शख़्स हैं
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
क्यूँकि हम दुनिया में आए कुछ सबब खुलता नहीं
इक सबब क्या भेद वाँ का सब का सब खुलता नहीं
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
मर गए ऐ वाह उन की नाज़-बरदारी में हम
दिल के हाथों से पड़े कैसी गिरफ़्तारी में हम
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
क्यूँकर न ख़ाकसार रहें अहल-ए-कीं से दूर
देखो ज़मीं फ़लक से फ़लक है ज़मीं से दूर
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
ज़ुल्फ़ जो रुख़ पर तिरे ऐ मेहर-ए-तलअत खुल गई
हम को अपनी तीरा-रोज़ी की हक़ीक़त खुल गई
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
तुफ़्ता-जानों का इलाज ऐ अहल-ए-दानिश और है
इश्क़ की आतिश बला है उस की सोज़िश और है
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
शाने की हर ज़बाँ से सुने कोई लाफ़-ए-ज़ुल्फ़
चीरे है सीना रात को ये मू-शिगाफ़-ए-ज़ुल्फ़
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
देख दिल को मिरे ओ काफ़िर-ए-बे-पीर न तोड़
घर है अल्लाह का ये इस की तो ता'मीर न तोड़
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
पान की सुर्ख़ी नहीं लब पर बुत-ए-ख़ूँ-ख़्वार के
लग गया है ख़ून-ए-आशिक़ मुँह को इस तलवार के
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
जब कि पहलू में हमारे बुत-ए-ख़ुद-काम न हो
गिर्ये से शाम-ओ-सहर क्यूँ कि हमें काम न हो
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
क्या कहूँ दिल माइल-ए-ज़ुल्फ़-ए-दोता क्यूँकर हुआ
ये भला चंगा गिरफ़्तार-ए-बला क्यूँकर हुआ
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
मैं बहादुर-शह-ए-'ज़फ़र' और दर्द का रंगून है
क्या लिखूँ 'ग़ालिब' के नाम और क्या लिखूँ 'हाली' के नाम
हज़ीं लुधियानवी
ग़ज़ल
रुख़ जो ज़ेर-ए-सुंबल-ए-पुर-पेच-ओ-ताब आ जाएगा
फिर के बुर्ज-ए-सुंबले में आफ़्ताब आ जाएगा