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ग़ज़ल
मैं किस तेज़ी से ज़िंदा हूँ मैं ये तो भूल जाता हूँ
नहीं आना है दुनिया में दोबारा याद रहता है
अदीम हाशमी
ग़ज़ल
मुझे गुफ़्तुगू से बढ़ कर ग़म-ए-इज़्न-ए-गुफ़्तुगू है
वही बात पूछते हैं जो न कह सकूँ दोबारा
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
अब के ख़िज़ाँ ऐसी ठहरी वो सारे ज़माने भूल गए
जब मौसम-ए-गुल हर फेरे में आ आ के दोबारा गुज़रे था
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
वो जुदा हो कर दोबारा मिल सकेगा या नहीं
करते करते उम्र भर हम इस्तिख़ारे मर गए