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ग़ज़ल
जल्वा-ए-दोस्त ने वो सेहर किया है कि 'अज़ीम'
दिल शरारों से फ़रोज़ाँ है ख़ुदा ख़ैर करे
अज़ीम हैदराबादी
ग़ज़ल
'अज़ीम' उन के तग़ाफ़ुल ने कहीं का भी नहीं रक्खा
ब-फ़ैज़-ए-हूर यूँ ज़िंदा रहे ये ख़स्ता-जाँ कब तक
अज़ीम हैदराबादी
ग़ज़ल
ये जो मैं अपने तईं शाएरी करता हूँ 'अज़ीम'
क्या तख़य्युल मिरा इज़हार में आ सकता है
अज़ीम हैदर सय्यद
ग़ज़ल
बढ़ा लोगे अगर तुम फ़ासले मुझ से कभी 'आज़िम'
तो रूदाद-ए-दिल-ए-नाशाद फिर किस को सुनाओगे
आज़िम कोहली
ग़ज़ल
दिल के ज़ख़्मों से महक आती है फूलों की 'अज़ीम'
सीना-ए-चाक है या रख़्ना-ए-दीवार-ए-चमन