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ग़ज़ल
हुस्न के राज़-ए-निहाँ शरह-ए-बयाँ तक पहुँचे
आँख से दिल में गए दिल से ज़बाँ तक पहुँचे
मोहम्मद दीन तासीर
ग़ज़ल
राह-ए-मंज़िल की जहाँ पहचानना दुश्वार थी
ज़िंदगी तेरे क़दम ऐसे निशाँ तक आ गए
सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी
ग़ज़ल
ता-दम-ए-आख़िर रहेंगे हसरतों के सिलसिले
एक हसरत दिल से निकली एक हसरत दिल में है
जयकृष्ण चौधरी हबीब
ग़ज़ल
महव-ए-हैरत हूँ ज़मीं-ज़ादे कहाँ तक आ गए
जिन को रहना था ज़मीं पर आसमाँ तक आ गए
सय्यद नवाब हैदर नक़वी राही
ग़ज़ल
उन की ये शोख़ी कि हैं मेरी वफ़ा पर ता'ना-ज़न
मुझ को ये हैरत कि अब नौबत यहाँ तक आ गई
मुस्लिम मलेगाँवी
ग़ज़ल
कहीं ऐसा न हो उस को हवा-ए-ग़म बुझा डाले
तुम्हारे रुख़ की ताबानी मिरे सोज़-ए-निहाँ तक है