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ग़ज़ल
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
हमारे बा'द अब महफ़िल में अफ़्साने बयाँ होंगे
बहारें हम को ढूँढेंगी न जाने हम कहाँ होंगे
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
मुसीबतें सर-बरहना होंगी अक़ीदतें बे-लिबास होंगी
थके हुओं को कहाँ पता था कि सुब्हें यूँ बद-हवास होंगी
दानिश नक़वी
ग़ज़ल
पलकों पे उस की जले बुझेंगे जुगनू जब मिरी यादों के
कमरे में होंगी बरसातें घर जंगल हो जाएगा
ताहिर फ़राज़
ग़ज़ल
चराग़-ए-ज़िंदगी होगा फ़रोज़ाँ हम नहीं होंगे
चमन में आएगी फ़स्ल-ए-बहाराँ हम नहीं होंगे