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ग़ज़ल
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ग़म-ए-इश्क़ रह गया है ग़म-ए-जुस्तुजू में ढल कर
वो नज़र से छुप गए हैं मिरी ज़िंदगी बदल कर
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
तिरी अंजुमन में ज़ालिम अजब एहतिमाम देखा
कहीं ज़िंदगी की बारिश कहीं क़त्ल-ए-आम देखा