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ग़ज़ल
कहीं महफ़िल जमाएँ हम भी अब पीने-पिलाने की
ये क्या कम है हमारे पास जो जाम-ए-सिफ़ाली है
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
ग़ज़ल
जब वो जमाल-ए-दिल-फ़रोज़ सूरत-ए-मेहर-ए-नीमरोज़
आप ही हो नज़ारा-सोज़ पर्दे में मुँह छुपाए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
निहाल सब्ज़ रंग में जमाल जिस का है 'मुनीर'
किसी क़दीम ख़्वाब के मुहाल में मिला मुझे