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ग़ज़ल
अक़्ल इक मौज-ए-रवाँ मेरे ख़यालात में है
हासिल-ए-होश-ओ-ख़िरद मेरी ख़ुराफ़ात में है
नवाब सय्यद हकीम अहमद नक़्बी बदायूनी
ग़ज़ल
चेहरों को तो पढ़ते हैं मोहब्बत नहीं करते
क्या लोग हैं ज़ख़्मों की हिमायत नहीं करते
जाज़िब क़ुरैशी
ग़ज़ल
इन्हीं आईनों में तस्वीर-ए-हक़ीक़त तो नहीं
कहीं हर ज़र्रा तिरे हुस्न की आयत तो नहीं
सय्यद बशीर हुसैन बशीर
ग़ज़ल
मसलख़-ए-इश्क़ में खिंचती है ख़ुश-इक़बाल की खाल
भेड़ बकरी से है कम-क़द्र बद-आमाल की खाल