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ग़ज़ल
आप दरिया हैं तो फिर इस वक़्त हम ख़तरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हम को पार होना चाहिए
मुनव्वर राना
ग़ज़ल
जिसे कहती है दुनिया कामयाबी वाए नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
बहज़ाद लखनवी
ग़ज़ल
मुझ को यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
वो करेंगे ना-ख़ुदाई तो लगेगी पार कश्ती
है 'नसीर' वर्ना मुश्किल, तिरा पार यूँ उतरना
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
ग़ज़ल
जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल की तमन्ना किस को थी
अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे