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ग़ज़ल
ख़्वाहिशों की नज़्र कर दूँ किस लिए अनमोल अश्क
कच्चे धागों में कोई मोती पिरो सकता नहीं
इक़बाल साजिद
ग़ज़ल
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था
अख़्तर होशियारपुरी
ग़ज़ल
ये उस के प्यार की बातें फ़क़त क़िस्से पुराने हैं
भला कच्चे घड़े पर कौन दरिया पार करता है
हसन रिज़वी
ग़ज़ल
उस के हाथों में तबाही के सिवा कुछ भी नहीं
कच्चे फल काट गिराता है चला जाता है
फ़ैसल इम्तियाज़ ख़ान
ग़ज़ल
सारे घर में शाम ढले तक खेल वो धूप और छाँव का
लप्पे पत्ते कच्चे आँगन में लोट लगाती दो-पहरें
इशरत आफ़रीं
ग़ज़ल
नाकामी की सूरत में मिले ताना-ए-ना-याफ़्त
अब काम मिरे इतने भी कच्चे नहीं होते