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ग़ज़ल
ख़ौफ़ सब जाता रहा दिल से अज़ाब-ए-हिज्र का
नक़्द-ए-जाँ देना गुनाह-ए-इश्क़ का कफ़्फ़ारा था
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ज़ल
ग़फ़लत-मता-ए-कफ़्फ़ा-ए-मीज़ान-ए-अद्ल हूँ
या रब हिसाब-ए-सख़्ती-ए-ख़्वाब-ए-गिराँ न पूछ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
अगर वो सर्व-क़द गर्म-ए-ख़िराम-ए-नाज़ आ जावे
कफ़-ए-हर-ख़ाक-ए-गुलशन शक्ल-ए-क़ुमरी नाला-फ़र्सा हो
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
भूल गए क्या क़स्में वा'दे साथ में हम को चलना था
राह बदलनी है क्या तुझ को जा पहले कफ़्फ़ारा देख
इक़बाल असलम
ग़ज़ल
कफ़्फ़ारा-ए-शराब मैं देता हूँ नक़्द-ए-होश
सरगर्म हूँ तलाफ़ी-ए-आमाल-ए-ज़िश्त में
मुनीर शिकोहाबादी
ग़ज़ल
रात भर जिस की तमन्ना में जले हैं हम लोग
वो सहर शैख़ की नज़रों में है कुफ़्फ़ार की बात
ख़ालिद यूसुफ़
ग़ज़ल
गरचे पेश-ए-ताक़-ए-अबरू-ए-सनम गेसू नहीं
काबा पर नर्ग़ा हुआ है लश्कर-ए-कुफ़्फ़ार का